योजना का लाभ लेने कलेक्टर और बैंक के चक्कर काट रही प्रसूताएं

सच प्रतिनिधि ॥ भोपाल
मध्यप्रदेश सरकार द्वारा महिला निर्माण श्रमिकों के लिए चलाई गई प्रसूति सहायता योजना का लाभ अधिकारियों की लापरवाही के चलते नहीं मिल पा रहा है। प्रसूताएं आवेदन करने के बाद राशि लेने के लिए कलेक्टर और बैंक के चक्कर काटने को मजबूर हैं, जिसके चलते उनमें आक्रोश पनप रहा है।
मंत्रालय के सामने भीमनगर में रहने वाली संतोष कुमार सेन ने प्रसूति सहायता योजना का लाभ लेने के लिए कलेक्टर कार्यालय के लोक सेवा 20 दिसंबर 2017 को सिविल सर्जन जेपी हास्पिटल को आवेदन किया था। आवेदन करने के बाद राशि स्वीकृति 2 जनवरी 2018 राशि जमा करने की तारीख दी गई थी, लेकिन अभी तक उनके खाते में राशि नहीं पहुंची है। परेशान प्रसूता कलेक्टर कार्यालय के समाधान केन्द्र और बैंक के चक्कर काटने को मजबूर है। आवेदक संतोष कुमार सेन का कहना है कि पिछले चवार महीनों से चक्कर काट रही हूं, लेकिन अभी तक राशि खाते में नहीं पहुंंची है। इधर लोक सेवा केन्द्र और स्वास्थ्य विभाग भी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं हैं।
मध्यप्रदेश में महिला निर्माण श्रमिकों के लिए प्रसूति सहायता योजना संचालित की जा रही है। योजना के तहत महिला श्रमिक को गर्भावस्था के अंतिम तीन महिनों में उसको मिलने वाली तनख्वाह का आधा यानी वेतन का पचास प्रतिशत भुगतान प्रसूति हितलाभ के रुप में किया जाता है।

इसके अलावा प्रसूति के बाद एक हजार रुपए की राशि भी चिकित्सा व्यय प्रतिपूर्ति के रूप में संबंधित महिला निर्माण श्रमिक को दी जाती है। यही नहीं प्रसूति सहायता योजना का लाभ उठाने वाली महिला श्रमिक के पति को भी 15 दिन का पितृत्व प्रसूति हितलाभ दिया जाता है। योजना का लाभ उठाने वाली महिला श्रमिक और उसके पति का पंजीकृत निर्माण श्रमिक होना आवश्यक है।


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