डीई से डरकर काम पर लौटने लगे डॉक्टर

प्रशासनिक संवाददाता ॥ भोपाल
लंबे समय से लापता चल रहे प्रदेश के डॉक्टर अब सरकारी अस्पताल में पहुंच कर ड्यूटी निभाने लगे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने इन चिकित्सा अधिकारियों के गैरहाजिर रहने की जानकारी जिलों से मंगा कर उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू करने के आदेश दिए थे। इस सख्ती का असर हुआ और कई डॉक्टरों ने वापस नौकरी ज्वाइन करने के लिए अनुपस्थिति के कारण सहित आवेदन दिया है।
प्रदेश के ब्लाक और जिला स्तर के अस्पतालों के साथ ही दूरदराज के क्षेत्रों में तैनात किए गए कई चिकित्सक विभाग को बिना बताए गायब हो गए थे। स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा में जब इसका खुलासा हुआ तो ऐसे चिकित्सकों की लिस्ट सभी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा सिविल सर्जन से मांगी गई थी। स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए एक फार्मेट भी बना कर भेजा था। लापता चिकित्सकों में कुछ पंद्रह से बीस साल से गायब मिले थे तो कुछ हाल के सालों में अवकाश लेकर छुट्टी पर जाने के बाद नौकरी पर नहीं लौटे थे। जिलों से आई रिपोर्ट के आधार पर इन गैरहाजिर डॉक्टरों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई थी। स्वास्थ्य विभाग ने ऐसे सभी चिकित्सकों को उनकी पक्ष रखने का मौका देते हुए उनके कार्यस्थल और निवास के पते पर नोटिस भेजे थे। इस सख्ती का असर भी होने लगा है। करीब एक दर्जन डॉक्टरों ने अपना पक्ष रखते हुए उनके खिलाफ शुरू की गई विभागीय जांच को समाप्त करने का आग्रह विभाग से किया है।
वहीं कुछ चिकित्सकों ने उनके लापता होने संबंधी रिपोर्ट को ही गलत बताते हुए अपने खिलाफ शुरू की गई जांच को बंद करने के लिए विभाग को लिखा है। स्वास्थ्य विभाग ने इन मामलों का परीक्षण कर वापस आने वाले चिकित्सकों को ड्यूटी ज्वाइन कराने और विभागीय जांच के निष्कर्ष आने के बाद समुचित कार्रवाई का निर्णय लिया है। स्वास्थ्य विभाग को अभी तक जिन चिकित्सा अधिकारियों ने अपना अभ्यावेदन सौंपा है उनमें अर्चना इवने होशंगाबाद, शरदचंद्र टांटिया गुना, गौरव शेतगांवकर बड़वानी, नीता बंसोरिया मुरैना, इसरार उद्दीन अब्बासी रायसेन और रश्मि उपाध्याय भिंड शामिल हैं।


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