दुनिया के सबसे अमीर शख्स के खिलाफ मैदान में उतरे अमेजन के कमर्चारी, यह है वजह

न्यूयॉर्क: दुनिया के सबसे अमीर शख्स जेफ बेजोस (Jeff Bezos) की तुलना एक निरंकुश शासक से की जा रही है और ऐसा करने वाले उनकी कंपनी अमेजन (Amazon) के ही कर्मचारी हैं. कोरोना (Coronavirus) महामारी के दौरान और अमीर होने वाले बेजोस ने अपनी कंपनी के कर्मचारियों के लाभों को कम कर दिया है. इसे लेकर अब अमेजन के कर्मचारियों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है.

पिछले दो महीनों से बेजोस के न्यूयॉर्क स्थित अपार्टमेंट के बाहर कर्मचारी प्रदर्शन कर रहे हैं. इतना ही नहीं दुनियाभर में अमेजन के कर्मचारी जेफ बेजोस की नीतियों के खिलाफ मैदान में उतर आए हैं. उनका कहना है कि ई-कॉमर्स दिग्गज कंपनी को उनकी सुरक्षा की कोई चिंता नहीं है. कोरोना से बचाव के लिए जरूरी संसाधनों का अभाव तो है ही, साथ ही उन्हें मिलने वाले लाभों पर भी कैंची चलाई गई है.

जून में अमेजन ने वेतन वृद्धि और डबल ओवरटाइम पर रोक लगा दी थी. इसके अलावा, गोदाम श्रमिकों को प्रति घंटे दो डॉलर के हिसाब से होने वाले भुगतान को भी बंद कर दिया है और कर्मचारियों को दिए जाने वाले स्वास्थ्य लाभों में भी कटौती की गई है.

सरकार से लगाई गुहार
ऐसा तब है जब कि अमेजन जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों ने महामारी के दौरान भी मुनाफा कमाया है. अमेजन जबरदस्त मुनाफे में चल रही है और इसी वजह से जेफ बेजोस दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति बने हैं, लेकिन इसके बावजूद कर्मचारियों के हित उनके लिए मायने नहीं रखते.

अमेजन चीफ के अड़ियल और तानाशाह रुख के चलते कर्मचारियों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जेफ बेजोस विरोधी इस अभियान को ‘टैक्स बेजोस’ नाम दिया गया है. स्टेटन आइलैंड स्थित कंपनी के गोदाम में पिछले दिनों कर्मचारियों ने स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए काम बंद कर दिया था. प्रदर्शनकारियों ने अब सरकार से इंसाफ की गुहार लगाई है.

आवाज दबाने की कोशिश
वहीं, बेजोस ने कर्मचारियों की आवाज दबाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं. विरोध-प्रदर्शनों का नेतृत्व करने वाले क्रिस स्मॉल को कंपनी ने यह कहते हुए नौकरी से निकाल दिया है कि उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का उल्लंघन किया, लेकिन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि क्रिस को निकालने की वजह अमेजन की नीतियों के खिलाफ आवाज उठाना है.

आरोपों के जवाब में कंपनी का कहना है कि उसने अपने कर्मचारियों के लिए पिछली तिमाही में 100 मिलियन फेस खरीदे थे और महामारी की शुरुआत से 175,000 लोगों को नौकरी दी गई है. साथ ही कर्मचारी लाभ पर कंपनी ने लगभग $ 700 मिलियन खर्च किए हैं.


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