क्या Smoking करने वालों को मिलता है हेल्थ इंश्योरेंस, यहां दूर करें भ्रम

नई दिल्ली: स्मोकिंग (Smoking) करने वालों के बारे में अक्सर ये कहा जाता है कि उन्हें हेल्थ इंश्योरेंस (Health insurance) मिलने में दिक्कतें होती है, लेकिन क्या वाकई में ऐसा है. एक स्मोकर और एक नॉन-स्मोकर (Non-Smoker) के हेल्थ इंश्योरेंस में क्या फर्क होता है. ज्यादातर लोगों का सोचना ये है कि स्मोकिंग करने वालों को हेल्थ इंश्योरेंस आसानी से नहीं मिलता, जो कि बिल्कुल गलत है. उन्हें भी इंश्योरेंस आसानी से मिलता है, बस कुछ मामलों में प्रीमियम सामान्य से थोड़ा ज्यादा चुकाना होता है, कई मामलों में प्रीमियम सामान्य भी होता है.

स्मोकिंग और हेल्थ इंश्योरेंस पर दूर कीजिए भ्रम
1. स्मोकिंग करने वालों के लिए लाइफ इंश्योरेंस (Life Insurance) आमतौर पर महंगा ही होता है, लेकिन ये उतना भी महंगा नहीं होता, जितना मान लिया गया है. अगर बीमा कंपनी ये देखती है कि सिगरेट पीने या किसी और स्मोकिंग की आदत की वजह से आपकी सेहत बिगड़ रही है तो उसी हिसाब से प्रीमियम भी बढ़ जाता है.

2. लेकिन इसके उलट सभी हेल्थ इंश्योरेंस देने वाली कंपनियां स्मोकर्स से ज्यादा प्रीमियम चार्ज नहीं करती हैं. अगर आप रेगुलर स्मोकर हैं तो आपको मेडिकल टेस्ट्स से गुजरना होगा, जिससे प्रीमियम तय होगा. हालांकि ये कोई बंधा हुआ नियम नहीं है, बीमा कंपनियां हर व्यक्ति के हिसाब से अलग अलग बर्ताव करती हैं.

3. स्मोकिंग करने वाले ज्यादातर लोग हेल्थ इंश्योरेंस लेने की कोशिश ही नहीं करते, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनको हेल्थ इंश्योरेंस मिलेगा ही नहीं. जबकि ऐसा नहीं है. स्मोकिंग करने के बावजूद बीमा कंपनियां आपको हेल्थ इंश्योरेंस देती हैं. वो ये देखती है कि स्मोकिंग की वजह से आपको कोई गंभीर बीमारी तो नहीं हो गई, जिसका आगे जाकर बड़ा खर्चा निकल आए. अगर बीमा कंपनियों को आपकी सेहत बहुत खराब लगती है और कोई गंभीर बीमारी मिलती है तो ऐसी स्थिति में ही आपको हेल्थ पॉलिसी देने से मना कर सकती है.
हेल्थ पॉलिसी देते समय कंपनियां ये देखती है कि आप दिन में कितनी सिगरेट पीते हैं और कितनी बार पीते हैं. इस सारी गणित के बाद ही आपको हेल्थ इंश्योरेंस और उसका प्रीमियम तय होता है.

4. एक जरूरी बात ये जान लें कि अगर आप कुछ साल पहले तक सिगरेट पीते थे, लेकिन अब आप पूरी तरह से स्मोकिंग छोड़ चुके हैं तो बीमा कंपनियां आपको नॉन-स्मोकर की तरह बर्ताव करेंगी.

5. हेल्थ इंश्योरेंस लेने में कोताही कतई न बरतें, भले ही आप स्मोकिंग करते हों, क्योंकि अगर आप भविष्य में बीमार हुए तो हेल्थ इंश्योरेंस नहीं लेना ज्यादा भारी पड़स सकता है, इसलिए भले ही थोड़ा प्रीमियम आपको ज्यादा चुकाना पड़े, हेल्थ इंश्योरेंस लेना चाहिए.

स्मोकिंग की जानकारी छिपाएं नहीं
अगर आप हेल्थ इंश्योरेंस लेते समय बीमा कंपनी को स्मोकिंग के बारे में गलत जानकारी देते हैं तो ये क्लेम सेटलमेंट के वक्त आपको परेशानी हो सकती है. इसलिए स्मोकिंग को लेकर जो भी सच हो वो बीमा कंपनी को बताएं. भले ही आप रेगुलर स्मोकर नहीं है, कभी कभी ही सिगरेट पी लेते हैं तो ये जानकारी भी बीमा कंपनी को जरूर दें. क्लेम सेटलमेंट के समय बीमा कंपनियां बहुत कड़ाई से जांच पड़ताल करती हैं, इसलिए किसी भी तरह का झूठ या छिपाई गई जानकारी बाद में सामने आ जाती है, जिसका खामिया क्लेम सेटलमेंट रिजेक्ट होकर चुकाना पड़ सकता है.

पहले से कोई बीमारी हो तो भी मिलेगा हेल्थ इंश्योरेंस
अगर आपको पहले से ही कोई स्वास्थ्य समस्या है और लगातार आपकी तबियत बिगड़ रही है तो भी आप हेल्थ इंश्योरेंस ले सकते हैं. अगर आप ईमानदारी से बीमा कंपनी को अपनी बीमारी के बारे में बता देते हैं तो कंपनी आपका मेडिकल टेस्ट कराती है, उसके बाद प्रीमियम तय कर आपको हेल्थ बीमा देती है. ऐसी स्थिति में प्रीमियम निश्चित तौर पर ज्यादा होता है. कुछ बीमारियों के लिए एक तय वेटिंग पीरियड भी होता है.

क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी ले सकते हैं
अगर आपको कोई गंभीर बीमारी है तो भी आपको हेल्थ इंश्योरेंस मिल सकता है. कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का इलाज काफी महंगा होता है, इसलिए खास तौर क्रिटिकल इलनेस पॉलिसी (Critical Ilness policy) बनाई गई है, जिसे लेना जरूरी है ताकि आप अस्पताल के लाखों रुपये के बिल से टूट न जाएं.


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