महिलाओं को हिंसा से बचाने की यूरोपीय संधि से अलग हुआ तुर्की, देश में मचा बवाल

इस्तांबुल: महिलाओं को हिंसा से बचाने से संबंधित एक यूरोपीय संधि से तुर्की शनिवार को अलग हो गया. तुर्की 10 साल पहले इस संधि पर हस्ताक्षर करने वाला पहला देश था और इस संधि में तुर्की के सबसे बड़े शहर का नाम है.

सड़कों पर उतरीं महिलाएं
तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन का इस हटने की घोषणा महिलाओं के अधिकारों की पैरवी करने वालों के लिए एक बड़ा झटका है. महिलाओं के अधिकारों की पैरवी करने वालों का कहना है कि यह संधि घरेलू हिंसा से निपटने के लिए जरूरी है. इस कदम के खिलाफ इस्तांबुल में शनिवार को सैकड़ों महिलाएं एकत्रित हुईं.

द काउंसिल ऑफ यूरोप की महासचिव मारिजा पी ब्यूरिक ने इसे ‘विनाशकारी’ बताया. उन्होंने कहा, ‘यह कदम इन प्रयासों के लिए एक बड़ा झटका और निंदनीय है, क्योंकि यह तुर्की, यूरोप और अन्य जगहों पर महिलाओं की सुरक्षा के साथ समझौता करता है.’

क्या है संधि?

इस्तांबुल संधि में कहा गया है कि पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार हैं और यह सरकारी अधिकारियों को महिलाओं के खिलाफ लैंगिक हिंसा को रोकने, पीड़ितों की रक्षा करने और अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए कदम उठाने के लिए बाध्य करती है.

एर्दोआन की पार्टी के कुछ पदाधिकारियों ने इस संधि की समीक्षा की वकालत की थी. उनका तर्क था कि यह तुर्की के रूढ़िवादी मूल्यों के अनुरूप नहीं है. संधि को इंटैक्ट बनाए रखने को लेकर प्रदर्शन कर रहे महिला समूहों और उनके सहयोगियों ने शनिवार को देश भर में प्रदर्शन किए. उन्होंने फैसला वापस लेने और संधि को लागू करने की मांग को लेकर नारे लगाए.

तुर्की के न्याय मंत्री ए. गुल ने कहा कि सरकार महिलाओं के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने ट्वीट किया, ‘हम अपने लोगों के सम्मान, परिवारों और हमारे सामाजिक ताने-बाने की रक्षा करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं.’


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