America का Russia के खिलाफ बड़ा एक्‍शन, 10 डिप्‍लोमेट को निकाला, लगाए नए बैन

वाशिंगटन: अमेरिका (America) ने पिछले साल के राष्ट्रपति चुनाव में दखलअंदाजी करने और अमेरिकी संघीय एजेंसियों (US Federal Agencies) में सेंधमारी करने के लिए रूस (Russia) को जिम्मेदार ठहराया है. इसी के चलते अमेरिका ने गुरुवार को रूस के 10 राजनयिकों (Diplomats) को निष्कासित करने और 30 से अधिक लोगों एवं प्रमुख वित्तीय संस्थानों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की.

इन प्रतिबंधों को 7 साल पहले यूक्रेन से अलग होकर बने क्रीमिया (Crimea) पर रूस के लगातार कब्जे और अफगानिस्तान में अमेरिका तथा गठबंधन बल (Coalition Force) के सैनिकों पर हमलों के लिए कथित रूप से इनाम घोषित करने के खिलाफ की गई कार्रवाई के तौर पर भी देखा जा रहा है.

रूस ने आरोपों को किया खारिज

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन (Joe Biden) ने कांग्रेस को लिखे पत्र में कहा कि उन्होंने रूस की नुकसानदेह गतिविधियों और खासतौर पर निष्पक्ष एवं स्वतंत्र लोकतांत्रिक चुनाव की प्रक्रिया को कमजोर करने के प्रयासों आदि पर विचार किया है. वहीं रूस ने अमेरिकी चुनावों में संलिप्तता या इनाम घोषित करने जैसे आरोपों को खारिज किया है. उसका यह भी कहना है कि सोलरविंड्स कम्प्यूटर हमलों से उसका कोई लेनादेना नहीं है.

बाइडन ने दिए कड़ी कार्रवाई के आदेश
बाइडन प्रशासन ने विदेश और वित्त विभाग के साथ तालमेल करते हुए शासकीय आदेश में प्रतिबंधों की घोषणा की. इसमें यह संदेश दिया गया है कि अगर रूस अपनी अस्थिरता पैदा करने वाली अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों को जारी रखता है या बढ़ाता है तो अमेरिका उस पर रणनीतिक एवं आर्थिक रूप से प्रभावी कार्रवाई करेगा.

रूबल बोंडस पर भी लगाई रोक

आदेश के बाद वित्त विभाग ने एक निर्देश जारी किया जो अमेरिकी वित्तीय संस्थानों को सेंट्रल बैंक ऑफ रशियन फेडरेशन, नेशनल वेल्थ फंड ऑफ रशियन फेडरेशन या रूसी फेडरेशन के वित्त मंत्रालय द्वारा 14 जून, 2021 के बाद जारी रूबल या गैर-रूबल बोंडस के लिए बाजार में भागीदारी पर रोक लगाता है.

पहली बार की गई ऐसी कार्रवाई
जानकारों की मानें तो पिछले कई सप्ताह से प्रशासन द्वारा इस तरह की कार्रवाई होने का पूर्वाभास था. अमेरिका द्वारा चुनाव में हस्तक्षेप और हैकिंग को लेकर जवाबी कार्रवाई करते हुए रूस के खिलाफ पहली बार प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की गई है. माना जाता है कि रूसी सेंधमारों ने व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाले सॉफ्टवेयर में सेंधमारी की थी, ताकि वे कम से कम नौ एजेंसियों के नेटवर्कों को हैक कर सकें और अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि उन्होंने अमेरिकी सरकार की गुप्त जानकारी जुटाने की कोशिश की.

प्रतिबंधों का 6 कंपनियों पर होगा असर
गुरुवार को लगाए गए प्रतिबंधों का असर 6 रूसी कंपनियों पर होगा जो देश की साइबर गतिविधियों में मदद करती हैं. इसके अलावा पिछले साल के राष्ट्रपति चुनाव में हस्तक्षेप की कोशिश करने तथा दुष्प्रचार करने के आरोपों में 32 लोगों और निकायों पर प्रतिबंध लगाये गए थे. व्हाइट हाउस (White House) ने कहा कि जिन 10 राजनयिकों को निकाला गया है उनमें रूसी खुफिया सेवाओं के प्रतिनिधि शामिल हैं. उसने यह भी कहा कि बाइडन इन खबरों पर प्रतिक्रिया देने के लिए राजनयिक, सैन्य और खुफिया चैनल का इस्तेमाल कर रहे हैं कि रूस ने तालिबान को अफगानिस्तान में अमेरिका और सहयोगी देशों के सैनिकों पर हमले के लिए उकसाया था.

‘ट्रंप को दोबारा राष्ट्रपति बनाना चाहता था रूस’
अमेरिकी अधिकारियों ने पिछले महीने आरोप लगाया था कि रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन ने पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मदद के लिए एक अभियान की मंजूरी दी थी ताकि ट्रंप पुन: राष्ट्रपति बन सकें, लेकिन इस बात का कोई सबूत नहीं है कि रूस या किसी अन्य ने मतों में या परिणामों में हेरफेर की.


facebook - जनसम्पर्क
facebook - जनसम्पर्क - संयुक्त संचालक
twitter - जनसम्पर्क
twitter - जनसम्पर्क - संयुक्त संचालक
जिला प्रशासन इंदौर और शासन की दैनंदिन गतिविधियों और अपडेट के लिए फ़ॉलो करें