तमिलनाडु या तमिझगम? गर्वनर हाउस के निमंत्रण पत्र ने फिर दी इस विवाद को हवा

Tamil Nadu Politics: तमिलनाडु का नाम बदलने तमिझगम की वकालत करने वाले गर्वनर ने एक बार फिर इस विवाद को भड़का दिया है. मंगलवार को गर्वनर आर एन रवि अपनी दलील को अमल में लाते दिखे और गर्वनर हाउस के एक निमंत्रण पत्र पर तमिझगम शब्द का इस्तेमाल किया गया.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक निमंत्रण पत्र पर गर्वनर ने ख़ुद के लिए ‘तमिझागा के राज्यपाल’ शब्द का इस्तेमाल किया. राजभवन के निमंत्रण पत्र के तमिल संस्करण में राज्य सरकार के प्रतीक का भी इस्तेमाल नहीं किया गया और केवल भारत सरकार के प्रतीक को दिखाया गया. हालांकि आमंत्रण के अंग्रेजी संस्करण में ‘तमिलनाडु’ के राज्यपाल लिखा गया है. डीएमके और उसके सहयोगियों ने राज्यपाल के इस रुख़ की आलोचना की है.

बता दें तमिलनाडु के राज्यपाल के लिए आधिकारिक निमंत्रण पत्रों में सामान्य रूप से ‘तमिझनाडु आलुनार’ शब्द का इस्तेमाल किया जाता है.

कब हुई विवाद का शुरुआत?
पिछले दिनों काशी-तमिल संगमम के आयोजकों और स्वयंसेवकों को सम्मानित करने के लिए राजभवन में आयोजित एक समारोह में बोलते हुए, राज्यपाल रवि ने कहा था, ‘दुर्भाग्य से तमिलनाडु में एक प्रतिगामी राजनीति रही है कि हम द्रविड़ हैं, और संविधान के आधार पर , हमें एक साथ लाया गया है. आधी सदी में पूरी कोशिश की गई है कि इस नैरेटिव को पुष्ट किया जाए कि हम राष्ट्र का हिस्सा नहीं हैं, राष्ट्र का अभिन्न अंग हैं. और यहां तक कि एक अलग तरह का नैरेटिव भी बनाया गया.जो कुछ लागू होता है पूरे देश के लिए, तमिलनाडु उसे ‘नहीं’ कहता है.’

राज्यपाल ने कहा, ‘यह एक आदत बन गई है. इतने सारे शोध लिखे गए हैं – सभी झूठे और घटिया उपन्यास. इसे तोड़ना चाहिए. सत्य की जीत होनी चाहिए. वास्तव में, तमिलनाडु वह भूमि है जो भारत की आत्मा को धारण करती है. यह भारत की पहचान है. वास्तव में, तमिझगम इसे कहने के लिए अधिक उपयुक्त शब्द होगा.’

डीएमके ने साधा था निशाना
गौरतलब है राज्यपाल के इस बयान के बाद डीएमके के कोषाध्यक्ष और सांसद टीआर बालू ने उन पर निशाना साधते हुए कहा था कि राज्यपाल रवि को बीजेपी के दूसरे प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर काम करना बंद कर देना चाहिए. बालू ने कहा, ‘राज्यपाल आरएन रवि भ्रम, अलगाव और संघर्ष पैदा करने के लिए दैनिक आधार पर कुछ विवादास्पद टिप्पणियां करते हैं. उन्होंने कहा कि द्रविड़ राजनीति के 50 वर्षों के दौरान लोगों को धोखा दिया गया है, यह बेहद निंदनीय है क्योंकि उन्हें भाजपा राज्य मुख्यालय कमलालयम से यह कहना चाहिए राजभवन से नहीं.’


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