भारत-सऊदी अरब के बीच 8 समझौतों पर हस्ताक्षर, जानें कहां-कैसे-क्या पड़ेगा असर

India-Saudi Arabia agreements: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सौद के साथ सोमवार को विस्तृत चर्चा की तथा दोनों देशों ने 50 अरब डॉलर की पश्चिमी तटीय तेलशोधक परियोजना पर अमल में गति लाने, चिन्हित ऊर्जा, रक्षा, सेमीकंडक्टर और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और प्रगाढ़ बनाने का निर्णय किया.

भारत-सऊदी अरब सामरिक साझेदारी परिषद (स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप काउंसिल) की पहली बैठक में दोनों पक्षों ने हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में अपने संबंधों के वर्तमान स्तर को विविधता प्रदान कर इसे ‘समग्र ऊर्जा गठजोड़’ में तब्दील करने पर सहमति व्यक्त की. दोनों पक्षों ने डिजिटलीकरण और निवेश सहित विभिन्न क्षेत्रों में आठ समझौतों पर हस्ताक्षर भी किये.

विदेश मंत्रालय में सचिव (प्रवासी भारतीय मामले) औसफ सईद ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने पश्चिमी तटीय तेलशोधक परियोजना को जल्द लागू करने का पूर्ण समर्थन किया जो अरामको, एडीएनओसी और भारतीय कंपनियों के बीच त्रिपक्षीय सहयोग पर आधारित है.’’

सईद ने संवाददाताओं को बताया कि दोनों नेताओं (प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और सऊदी अरब के युवराज मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअजीज अल सौद) के बीच बातचीत में कई क्षेत्र चिन्हित किये गए जिसमें ऊर्जा, रक्षा, सुरक्षा, शिक्षा, प्रौद्योगिकी, परिवहन, स्वास्थ्य सेवा, पर्यटन और संस्कृति शामिल हैं.

दोनों पक्षों ने पावर ग्रिड, गैस ग्रिड, आप्टिकल ग्रिड, फाइबर नेटवर्क में संभावित सहयोग पर भी चर्चा की. जी20 शिखर सम्मेलन की समाप्ति के बाद बिन सलमान इस समय भारत की राजकीय यात्रा पर हैं. अहम क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने के उद्देश्य से भारत-सऊदी अरब सामरिक साझेदारी परिषद की घोषणा 2019 में की गई थी.

सईद ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी और सऊदी अरब के युवराज बिन सलमान ने पश्चिमी तटीय तेलशोधक परियोजना पर अमल में गति लाने का पूर्ण समर्थन किया जिसके लिए 50 अरब डॉलर की राशि चिन्हित की गई है. उन्होंने कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने संयुक्त कार्यबल स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की ताकि 100 अरब डॉलर के निवेश से जुड़े आयमों के चिन्हित करने और इसका रेखांकन करने में मदद मिल सके.’’

पश्चिमी तटीय तेलशोधक परियोजना की स्थापना महाराष्ट्र में होनी है. इस वृहद तेलशोधक सह पेट्रो केमिकल परिसर परियोजना की घोषणा 2015 में की गई थी. वार्ता से पहले सऊदी अरब के युवराज का राष्ट्रपति भवन के प्रांगण में एक समारोह में स्वागत किया गया. स्वागत के बाद बिन सलमान ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मैं भारत आकर बहुत खुश हूं. मैं जी20 शिखर सम्मेलन के लिए भारत को बधाई देना चाहता हूं.’’ सऊदी नेता ने कहा कि शिखर सम्मेलन में की गई घोषणाओं से दुनिया को फायदा होगा. उन्होंने कहा, ‘‘हम दोनों देशों के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण के लिए मिलकर काम करेंगे.’’

वहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘आज भारत-सऊदी अरब स्ट्रेटेजिक पार्टनरशिप काउंसिल की पहली बैठक में भाग लेते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है. 2019 की मेरी सऊदी अरब यात्रा के दौरान हमने इस परिषद की घोषणा की थी. इन चार वर्षों में यह हमारी रणनीतिक साझेदारी को और सुदृढ़ करने के प्रभावी माध्यम के रूप में उभरा है.’’

मोदी ने कहा, ‘‘ मुझे ख़ुशी है कि इस परिषद के अंतर्गत दोनों समितियों की कई बैठकें हुई हैं, जिनसे हर क्षेत्र में हमारा आपसी सहयोग निरंतर बढ़ रहा है. बदलते समय की ज़रूरतों के अनुसार हम हमारे संबंधों में नए और आधुनिक आयाम जोड़ रहे हैं.’’ उन्होंने कहा कि भारत के लिए सऊदी अरब हमारे सबसे महत्वपूर्ण सामरिक सहयोगियों में से है. विश्व की दो बड़ी और तेज़ गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं के रूप में हमारा आपसी सहयोग पूरे क्षेत्र की शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण है

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने हमारी करीबी साझेदारी को अगले स्तर पर ले जाने के लिए कई पहलों की पहचान की. उन्होंने कहा कि आज की बैठक से दोनों देशों के संबंधों को एक नयी ऊर्जा, एक नयी दिशा मिलेगी और मिलकर मानवता की भलाई के लिए काम करते रहने की प्रेरणा मिलेगी. मोदी ने कहा, ‘‘सऊदी अरब में रहने वाले भारतीयों के हितों की सुरक्षा और उनके कल्याण के लिए आपकी प्रतिबद्धता के लिए हम आपके बहुत बहुत आभारी हैं. भारत और सऊदी अरब की मित्रता, क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिरता, स्मृद्धि और मानव कल्याण के लिए महत्त्वपूर्ण है.’’


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