आखिर कब रुकेगा सीरिया में तबाही का सिलसिला?

अगले विश्लेषण से पहले मैं आप सभी से कुछ सवाल पूछना चाहता हूं. ‘आप उस बच्चे से क्या कहेंगे, जो मरने का इंतज़ार कर रहा हो, और ये कह रहा हो कि उसे भगवान के पास इसलिए जाना है क्योंकि वहां उसके लिए भोजन है.’ ‘आप 3 साल की उस बच्ची के बारे में क्या कहेंगे, जिसने मरने से पहले ये शिकायत की हो, कि ‘वो भगवान के पास जाकर उन्हें सारी बातें बता देगी’. सच तो ये है, कि किसी बच्चे के मुंह से ऐसे सवाल और ऐसी मार्मिक बातें सुनने के बाद, आपके अंदर कोई भी जवाब देने की शक्ति नहीं बचेगी.  लेकिन, हमें लगता है, कि आज अपनी संवेदनाओं को काबू में रखते हुए, हमें ऐसे चुभने वाले सवालों का जवाब ढूंढना ही होगा.

ये विश्लेषण सीरिया पर आधारित है. जहां पिछले 8 दिनों में साढ़े पांच सौ से ज़्यादा नागरिक मारे गए हैं. और सबसे ज़्यादा तकलीफ देने वाली बात ये है, कि इनमें 130 से ज़्यादा बच्चे हैं. सवाल ये है, कि इन बच्चों और नागरिकों की हत्या कौन कर रहा है ? क्योंकि, नवंबर 2017 में ही सीरिया से आतंकवादी संगठन ISIS के अंत का औपचारिक ऐलान कर दिया गया था. ऐसे में वहां खून खराबा करने वाले कौन हैं ?

की टीम पिछले वर्ष मई के महीने में सीरिया के उस इलाके में मौजूद थी, जहां इस वक्त आसमान से मौत की बारिश हो रही है. इस इलाके का नाम है Eastern Ghouta, जो सीरिया की राजधानी Damascus से सिर्फ 10 किलोमीटर की दूरी पर है. 104-Square-Kilometre में फैले इस इलाके की आबादी 4 लाख है. जिसमें से आधी से ज़्यादा आबादी 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों की है. हमने काफी क़रीब से इस इलाके को देखा है, इसलिए हम वहां के हालात और वहां की पीड़ा को समझ सकते हैं. इस वक्त इस इलाके में रहने का मतलब है, मौत को गले लगाना. इस तकलीफ को समझाने के लिए आपको सबसे पहले सीरिया के एक डॉक्टर की बातें सुनाना चाहते हैं. ज़रा सोचिए, कि जब ज़िन्दगी बचाने वाला डॉक्टर ही, फूट-फूट कर रो रहा हो, तो फिर वहां पर कैसे हालात होंगे ?

Damascus के क़रीब Eastern Ghouta में 19 फरवरी 2018 से लेकर कल तक Russia ने कई हवाई हमले किए हैं. हवाई हमलों की आड़ में सीरिया की सेना ने विद्रोहियों के आखिरी गढ़ कहे जाने वाले Eastern Ghouta में सैन्य कार्रवाई भी की है, और इसकी कीमत साढ़े 5 सौ से ज़्यादा लोगों ने अपनी जान देकर चुकाई है.

मानव अधिकार कार्यकर्ताओं और डॉक्टर्स के मुताबिक हवाई हमले के दौरान रासायनिक हमले भी किए गए. आरोपों के मुताबिक, हमले के दौरान क्लोरीन गैस का इस्तेमाल किया गया. क्लोरीन का इस्तेमाल आम तौर पर सफाई, कीटनाशक बनाने, रबर बनाने या फिर पानी को साफ करने के लिए किया जाता है. लेकिन अगर क्लोरीन का इस्तेमाल ज़्यादा मात्रा में किया जाए तो ये जानलेवा साबित होती है. ये गैस सीधे फेफड़ों पर हमला करती है और इससे मौत भी हो सकती है. हालांकि, सीरिया की सरकार का कहना है कि उसने कभी रासायनिक हथियारों का प्रयोग नहीं किया. इस मामले में ताज़ा Update ये है, कि Russia के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने विद्रोही गुट के इलाकों में हर रोज़ 5 घंटे का संघर्ष विराम लागू किया है. ताकि, निर्दोष लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके.

हालांकि, ये कदम उठाने में काफी देर हो चुकी है, क्योंकि पिछले 8 दिनों में कई लोग इन हमलों में अपनी जान गंवा चुके हैं. सच तो ये है, कि ISIS के खात्मे के बाद सीरिया में विदेशी ताकतें खुलकर लड़ती हुई दिख रही हैं. एक तरफ सीरिया, Russia और ईरान हैं, तो दूसरी तरफ अमेरिका और इज़राएल. जबकि Turkey इस मोर्चे की तीसरी कड़ी है. आप ये भी कह सकते हैं, कि सीरिया विदेशी ताकतों का Testing Ground बन गया है. जहां पर हर कोई अपने-अपने तरीके से मानवता को चुनौती देने वाला खेल, खेल रहा है. वैसे आज हर किसी के मन में एक सवाल ज़रूर उठ रहा है, कि आतंकवादी संगठन ISIS की सीरिया में हार हो चुकी है . लेकिन इसके बाद भी सीरिया में अब तक युद्ध क्यों चल रहा है ? इसकी वजह हम आपको बहुत आसान भाषा में  समझाएंगे .

सीरिया का युद्ध.. वास्तव में एक गृहयुद्ध है. जिसमें एक तरफ सीरिया के राष्ट्रपति Bashar al-Assad हैं, तो दूसरी तरफ विद्रोही गुट हैं . सीरिया का ये गृह युद्ध वर्ष 2011 से लगातार जारी है . सीरिया में Bashar al-Assad के विरोध की दो प्रमख वजहें हैं . पहली वजह तो ये है कि वर्ष 2010 से एशिया और अफ्रीका के कई देशों की सरकारों को एक जन विद्रोह का सामना करना पड़ा . इस जन विद्रोह को Arab Spring या Jasmine Revolution भी कहा जाता है . Tunisia, Libya, Egypt, Yemen और Syria, इन 5 देशों पर इस क्रांति का सबसे ज़्यादा प्रभाव पड़ा .

Tunisia, Libya और Egypt में Arab Spring की वजह से सत्ता परिवर्तन हो गया.लेकिन Syria में जन विद्रोह होने के बाद भी सत्ता परिवर्तन नहीं हुआ . यही वजह है कि Syria  में आज भी एक सैन्य संघर्ष की स्थिति है . Bashar al-Assad के विरोध की दूसरी सबसे बड़ी वजह ये है कि वो एक शिया मुस्लिम है . सीरिया एक सुन्नी मुस्लिम बहुल देश है . इस आधार पर भी सुन्नी विद्रोही गुट Assad का विरोध कर रहे हैं .

ISIS यानी इस्लामिक स्टेट भी एक सुन्नी आतंकवादी संगठन माना जाता है . वर्ष 2014 में ISIS की ताकत बहुत बढ़ गई और उसने इराक और सीरिया के कई हिस्सों पर कब्ज़ा कर लिया . जिसके बाद ISIS और सीरिया की Bashar al-Assad सरकार के बीच एक बड़ा युद्ध शुरू हुआ . अब यहां समझने वाली बात ये है कि सीरिया का गृहयुद्ध वर्ष 2011 से ही चल रहा है. ISIS और सीरिया की सरकार का युद्ध, इसी गृहयुद्ध का एक हिस्सा था.

ISIS की हार के बाद भी सीरिया के राष्ट्रपति Assad के खिलाफ लड़ने वाले विद्रोही गुटों की ताकत पूरी तरह खत्म नहीं हुई है . इसकी वजह ये है कि अमेरिका और Israel अभी भी सीरिया की Assad सरकार को हटाना चाहते हैं. और Saudi Arabia, Assad के खिलाफ़ लड़ रहे विद्रोही गुटों की छिप कर मदद कर रहा है . दूसरी तरफ Russia और Iran खुलकर Assad का साथ दे रहे हैं . यही वजह है कि ISIS के सीरिया में हार जाने के बाद भी सीरिया का युद्ध खत्म नहीं हो रहा है .

बच्चों की ऐसी मार्मिक तस्वीरें देखकर दुनिया के हर संवेदनशील इंसान का गला भर आया होगा. अगर आप सीरिया के किसी बच्चे से उसके देश का हाल पूछेंगे, तो उसकी आंखों में आपको सिवाए आंसुओं के कुछ और नज़र नहीं आएगा. इस विश्लेषण का अंत हम सीरिया की एक छोटी सी बच्ची के एक गीत के साथ करेंगे. ये बच्ची वर्ष 2016 में एक Arabic Talent Show में Perform कर रही थी. वहां एक गीत गुनगुनाते हुए, इस बच्ची की आंखों में आंसू आ गये.. और उसकी बातें सुनकर पूरी दुनिया भावुक हो गई. ये Video भले ही 2 वर्ष पुराना हो, लेकिन इसमें जो भावनाएं छिपी हैं, वो आज भी सीरिया के हर बच्चे के दिल की आवाज़ हैं.

सीरिया की स्थिति को वही समझ सकता है, जिसने वहां के हालात को काफी क़रीब से देखा हो. और पिछले वर्ष मई के महीने में जब मुझे और मेरी टीम को सीरिया से Ground Reporting करने का मौका मिला था, तब हमने कई संवेदनशील जगहों से रिपोर्टिंग की थी. हमने Damascus से लेकर सीरिया के होम्स शहर और पलमायरा की Front Line से आपको वो तस्वीरें दिखाई थीं, जो आम तौर पर देखने को नहीं मिलतीं. आज़ादी की असली क़ीमत समझनी हो, तो एक बार हर इंसान को सीरिया ज़रूर जाना चाहिए. क्योंकि, जिस देश में सांस लेने से पहले हर इंसान को ये डर सताता हो, कि कहीं उसे बंदूक की गोली उसे ना लग जाए, वहां किस तरह की आज़ादी होगी, इसकी आप कल्पना कर सकते हैं. आज हम आपको मई 2017 की उस Ground Reporting का एक छोटा सा हिस्सा दिखाना चाहते हैं. इसे देखकर आपको सीरिया की तकलीफों का अंदाज़ा होगा.

आज़ादी की मांग करना बहुत आसान है, लेकिन आज़ादी को बरकरार रखना बहुत मुश्किल है. और सीरिया की तस्वीरें देखकर तो ऐसा ही लगता है, कि वहां स्थिति इतनी जल्दी नहीं सुधरेगी. वैसे सीरिया के जो हालात हैं उनमें कई शिक्षाएं भी छिपी हुई हैं. पहली शिक्षा ये है कि किसी देश में पनपने वाला अलगाववाद अगर नियंत्रण के बाहर चला जाए तो उसका हाल सीरिया जैसा होता है. दूसरी शिक्षा ये है कि आपके देश में अगर अलगाववादी नियंत्रण से बाहर चले जाएं और दूसरे देश अलगाववादियों की मदद करने लगें, तो देश की अखंडता खतरे में पड़ जाती है. कुछ ऐसा ही सीरिया में हुआ है. सीरिया के हालात हमें ये भी सिखाते हैं कि एक युद्ध, कैसे एक देश को बहुत पीछे धकेल देता है.


facebook - जनसम्पर्क
facebook - जनसम्पर्क - संयुक्त संचालक
twitter - जनसम्पर्क
twitter - जनसम्पर्क - संयुक्त संचालक
जिला प्रशासन इंदौर और शासन की दैनंदिन गतिविधियों और अपडेट के लिए फ़ॉलो करें