स्कूली शिक्षा का मॉडल नहीं बन पाए मॉडल स्कूल

लापरवाही ॥ पांच साल बाद भी 20 फीसदी स्कूलों में भवन का काम अधूरा, नहीं हो सकी शिक्षकों की व्यवस्था
सच प्रतिनिधि ॥ भोपाल
सेंट्रल स्कूलों की तर्ज पर प्रदेश के हर ब्लॉक में खोले गए मॉडल स्कूलों के संचालन में सरकार नाकामयाब होती नजर आ रही है। स्थिति यह है कि पांच साल बाद भी इन स्कूलों के भवन निर्माण का काम पूरा नहीं हो सका है। ऐसे में कई क्षेत्रों में यह स्कूल अब भी दो-दो कमरों में संचालित हो रहे हैं। वहीं शिक्षकों के नाम पर यहां एक्का-दुक्का अतिथि शिक्षक ही हैं। सरकार की कोशिश थी की इन स्कूलों की स्थापना कर वह स्कूली शिक्षा का एक बेहतरीन मॉडल पेश करेगी, लेकिन सरकार की अनदेखी ही उन पर भारी पड़ गई।
समय सीमा में काम पूरा न होने के कारण केंद्र सरकार ने भी इन स्कूलों को राशि देने से अब इंकार कर दिया है। ऐसे में ब्लॉक स्तर पर खोले गए मॉडल स्कूलों में शेष कार्य को पूरा करने के लिए 59 करोड़ का भर में अब प्रदेश पर आ गया है।अधिकारी भी इस बात को स्वीकार करते हैं कि सुविधाओं का अभाव व शैक्षणिक क्वालिटी ठीक न होने से ब्लॉक मुख्यालय पर बने मॉडल स्कूलों में छात्र प्रवेश लेना नहीं चाहते। इसी कारण हर साल इनकी सीट खाली रह जाती हैं। अब सरकार मॉडल स्कूलों में हॉस्टल बनाकर छात्रों रिझाने का प्रयास कर रही है।
ज्ञात हो कि प्रदेश के 201 ब्लॉक में बन इन स्कूलों के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2009-10 में मंजूरी दी थी और वर्ष 2013 तक की समय सीमा निर्धारित की गई थी। इसके बावजूद अब तक यह काम पूरा नहीं हो पाया है। स्कूल शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार 8 0 फीसदी स्कूलों को निर्माण कार्य तो हो गया है, लेकिन शिक्षकों की व्यवस्था नहीं हो सकी है।
20 ब्लॉक में बन रहे मॉडल स्कूलों में निर्माण कार्य अधूरा है। इन स्कूलों में शेष कार्य को पूरा करने के लिए विभाग को 59 करोड़ रुपए की दरकार है, लेकिन उसके पास इसके लिए बजट ही नहीं है। इस वजह से विभाग ने राज्य सरकार से इस राशि की मांग की है।
40 हजार छात्र परेशान
स्कूल शिक्षा विभाग की इस लापरवाही का खामियाजा 40 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों को उठाना रहा है।ये वे छात्र हैं, जिन्होंने मॉडल स्कूल की सुविधाओं की आस में सरकारी स्कूलों में एडमिशन लिए थे।
विलंब के चलते केंद्र ने रोकी अुनदान राशि
मॉडल स्कूल के भवनों का निर्माण कार्य केंद्र सरकार द्वारा अनुदान राशि न देने के कारण अटक गया है। दरअसल, योजना मंजूर करते समय केंद्र ने राज्य शासन को इन स्कूलों का काम तीन साल में पूरा करने की समय-सीमा दी थी। इसके बाद भी शासन के जिम्मेदारों ने इस काम में रुचि नहीं दिखाई। इसका नतीजा यह हुआ कि वर्ष-2014 तक प्रदेश में आधे से अधिक स्कूलों के भवन नहीं बन पाए थे। इसे लेकर केंद्र सरकार ने नाराजगी जताई और योजना के लिए दिए जाने वाले अनुदान पर रोक लगा दी। अब पैसे की कमी के चलते विभाग ने राज्य सरकार से मदद की गुहार लगाई है।


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