बाघों को बचाएगी चार करोड़ की फेंसिंग

सुरक्षा ॥ शिकार की घटनाओं को रोकने के लिए लगाए गेट
सच प्रतिनिधि ॥ भोपाल
मानव और वन्य प्राणियों के आपसी द्वंद्व को रोकने के लिए वन विभाग करीब चार करोड़ रुपए की लागत से राजधानी के आसपास के जंगलों में फेसिंग करा रहा है। पिछले दो सालों में कलियासोत, केरवा डैम और उसके आसपास के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बाघों की सक्रियता बढ़ गई है। इन क्षेत्रों में फेसिंग के जरिए बाघों को शहरी क्षेत्र में आने से रोका जाएगा। साथ ही शिकारियों और लकड़ी चोरों पर लगाम लगाई जाएगी।
केरवा-कलियासोत क्षेत्र में बाघिन के साथ ही उसके दो शावक सक्रिय हैं। वन विभाग ने इनकी सुरक्षा को देखते हुए जंगल में लगे ट्रैप कैमरों से और इसके साथ ही गश्ती दल तैनात किया है, लेकिन जंगल में कुछ रास्ते ऐसे भी हैं, जहां से लकड़ी चोरी करने वाले और कार बाइक लेकर घूमते असामाजिक तत्व पहुंचते हैं। इनके कारण वन्य जीवों की जान को खतरा रहता है। वन विभाग ने इन रास्तों को पर निगरानी रख कर , इन जगहों पर गेट लगाया गया है। इसके साथ ही गेट पर एक वन कर्मचारी को तैनात भी किया जा रहा है। इस क्षेत्र में ऐसे कई रास्ते है। जिन पर गेट लगाए जाएंगे।
टूटी फेंसिंग की की जा रही मरम्मत
केरवा क्षेत्र में लगी जालियां ग्रामीणों ने कई जगह से काट दी हैँ। वन विभाग इन जालियों की भी मरम्मत करा रहा है। जिन स्थानों पर जाली नहीं लगी है, वहां नई जालियां लगाई जा रही हैं। गौरतलब है कि गर्मी का मौसम करीब आते ही वन्य जीव पानी और शिकार की तलाश में वन क्षेत्र से बाहर आते हैं। वन्य जीवों की सुरक्षा को देखते हुए जंगल में जाने वाले रास्तों पर गेट लगाया जा रहा है।
ट्रैप कैमरे में कैद हुई बाइक-कारें
वन विभाग ने बाघों पर नजर रखने के लिए जंगल में ट्रैप कैमरे लगाए है। बाघ कभी-कभार ही दिखाई देते है। मगर लोग अपनी बाइक और कार से अंदर आते हुए कैमरे में कैद हुए । इसके चलते वन विभाग ने गेट लगवाना उचित समझा।
जंगल के अंदर पानी की व्यवस्था
कलियासोत और केरवा के जंगल में वन विभाग ने बाघों को पानी पीने के लिए जंगल के अंदर व्यवस्था कर दी है। अब पानी पीने के लिए जंगल के बाहर नहीं भटकना पड़ता पड़ेगा। वे कई बार कलियासोत डैम के तेरह गेट तक पहुंच चुके है।
केरवा- कलियासोत के जंगल में ऐसे रास्ते है , जहां से लोग वाहन लेकर घुसते है, यहां करीब एक दर्जन से ज्यादा रास्ते है। जिन्हें बंद कर गेट लगाए जाएंगे । इसके साथ ही टूटी हुई जालियों की भी मरम्मत की जा रही है। > डा. एसपी तिवारी ,सीएफ


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