सीएम की घोषणा के बावजूद नहीं मिल रही स्कॉलरशिप

प्रशासनिक संवाददाता ॥ भोपाल
चुनावी साल में अनुसूचित जाति ओर जनजातियों को साधने में जुटे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कोशिशों पर की नौकरशाही पानी फेर रही है। इस वर्ग के विद्यार्थियों को मिलने वाली स्कॉलरशिप में आयु सीमा के बंधन को समाप्त करने की मुख्यमंत्री चौहान की घोषणा के बाद भी उन्हें स्कॉलरशिप नहीं मिल रही है।
मुख्यमंत्री की घोषणा को पूरा करने के लिए उनके सचिवालय के अधिकारी बार-बार विभाग को नोटशीट भेज रहे हैं लेकिन विभाग ने अब तक इस मामले में आदेश जारी नहीं किए। अनुसूचित जाति विभाग के विभागाध्यक्ष की ओर से भी इस मामले में पूरे हिसाब-किताब के साथ नोटशीट शासन तक पहुंच गई हैलेकिन शासन स्तर पर निर्णय नहीं हो पाने के कारण विद्यार्थी परेशान है। उच्चशिक्षा के लिए स्कॉलरशिप नहीं मिलने से परेशान इस वर्ग के विद्यार्थियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव अशोक बर्णवाल से भी मुलाकात की थी, लेकिन इसके बाद भी मुख्यमंत्री की यह घोषणा जमीन पर नहीं उतर पाई। अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग को स्कॉलरशिप प्री-मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक के साथ-साथ उच्च शिक्षा और पीएचडी के लिए भी स्कॉलरशिप दी जाती है। इन स्कॉलरशिप योजनाओं में आयसीमा का बंधन होने के कारण दोनों के इन वर्गों के प्रतिभावान विद्यार्थियों को इसका लाभ नहीं मिल पाता था। सरकारी और अर्धसरकारी शिक्षण संस्थाओं के लिए अध्ययनरत विद्यार्थियों को पूरी तरह नि:शुल्क शिक्षा देने की घोषणा मुख्यमंत्री ने की थी। यह व्यवस्था कक्षा एक से पीएचडी तक के लिए लागू की जाना है। गैरसरकारी संस्थाओं में अध्ययनरत विद्यार्थियों की स्कॉलरशिप के लिए आयसीमा तीन लाख से बढ़ाकर छह लाख की जानी थी।
100 करोड़ रूपए का अतिरिक्त भार आएगा
विभाग के प्रस्ताव के अनुसार मुख्यमंत्री की इस घोषणा को पूरा करने पर करीब 100 करोड़ का अतिरिक्त भार आएगा। हालांकि 12वीं पंचवर्षीय के इस अंतिम वर्ष में भी विभाग के पास पर्याप्त राशि है। 12वीं पंचवर्षीय योजना के तहत वर्ष2016 -17 के लिए विभाग के पास 274.77 करोड़ राज्य की कमिटेड लायबिलिटी है। इसलिए 2.50 लाख रूपए तक की आयसीमा के तहत वित्तीय वर्ष वर्ष2017-18 में नए जुडऩे वाले विद्यार्थियों पर कमिटेड लायबिलिटी से अधिक खर्च होने वाली राशि ही केन्द्र सरकार से राज्य को मिलेगी। कक्षा एक से पीएचडी तक नि:शुल्क शिक्षण की मुख्यमंत्री की घोषणा के पालन होने से करीब एक लाख विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप मिलेगी, जिस पर करीब 6 5 करोड़ अतिरिक्त खर्च होंगे। जबकि निजी संस्थानों में पढऩे वाले विद्यार्थियों की फीस की प्रतिपूर्ति पर 35 करोड़ रूपए खर्च होंगे।
शासन स्तर पर अटका मामला
अनुसूचित जनजाति विभाग ने तो मुख्यमंत्री की घोषणा का पालन करते हुए घोषणा के अनुरूप स्कॉलरशिप योजना में संशोधन कर दिए लेकिन अनुसूचित जाति विभाग अब तक इस मामले में कोईकार्यवाही नहीं कर पाया है।विभागाध्यक्ष यानी आयुक्त अनुसूचित जाति विकास ने इस घोषणा के पालन के लिए शासन यानी प्रमुख सचिव अनुसूचित जाति विभाग को प्रस्ताव भेजा है, लेकिन इस पर अब तक निर्णय नहीं हो पाया। इसमें शासकीय और अर्धशासकीय संस्थाओं में पढऩे वाले विद्यार्थियों की स्कॉलरशिप के लिए आयसीमा में बंधन समाप्त होना है जबकि ऐसी गैर सरकारी संस्थाएं फीस नियामक आयोग ने फीस का निर्धारण किया है, वहां आयसीमा बढ़ाकर 6 लाख किया जाना है।


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