प्रदेश के हर ब्लॉक में 24 रुपए का एक पौधा लगाएगी सरकार

प्रशासनिक संवाददाता ॥ भोपाल
प्रदेश में इस साल भयंकर सूखे की स्थिति के बीच गांवों से पलायन रोकने के लिए राज्य सरकार ने मनरेगा में नए काम जोड़े हैं। सूखे के इन हालातों के बीच राज्य सरकार ने प्रत्येक ब्लॉक में एक नर्सरी बनाने का निर्णय लिया है।
नर्सरी बनाने का काम गांव में आजीविका मिशन या तेजस्वी परियोजना के तहत बने स्व-सहायता समूहों की ऐसी महिलाओं से कराए जाएंगे जिनके पास मनरेगा के जॉबकार्ड हैं। हालांकि नर्सरी निर्माण में पानी की जरूरत है लेकिन मनरेगा में किए जाने वाले निर्माण कार्यों की तुलना में इस काम के लिए अपेक्षाकृत कम पानी लगेगा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने मनरेगा के तहत इस संबंध में विस्तृत निर्देश कलेक्टरों और जिला पंचायतों के सीईओ को भेजे हैं। निर्देशों में कहा गया है कि नर्सरी का निर्माण कम से कम दो एकड़ भूमि पर किया जाएगा। जमीन चिन्हित करने का काम पंचायतों के सहयोग से किया जाएगा। मनरेगा के तहत आवंटित राशि को खर्च करने के लिए नर्सरी निर्माण से पहले इन समूहों की महिलाओं को इसका प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। नर्सरी में पानी की जरूरत को पूरा करने के लिए नर्सरी क्षेत्र में मनरेगा के तहत कुंआ खोदा जाएगा। निर्देशों ेमं कहा गया है कि यदि कुंए में पानी निकलता है, तभी नर्सरी बनाई जाएगी। मनेरेगा के तहत ही नर्सरी की फेंसिंग और अन्य जरूरी काम किए जाएंगे।
लागत 36 लाख, तीन साल में बनेगी नर्सरी
इन निर्देशों में सरकार ने एक नर्सरी के निर्माण के लिए तीन साल की समयसीमा निर्धारित की है। दो एकड़ क्षेत्र में बनने वाली नर्सरी में कम से कम एक लाख 75 हजार पौधे लगाए जाएंगे। नर्सरी में लगाए जाने वाले एक पौधे की लागत 24 रूपए 12 पैसे निर्धारित की गई है।
कितना काम मिलेगा
सरकार के आदेश के अनुसार नर्सरी निर्माण की इस योजना से तीन सालों में 13066 कार्य दिवस सृजित होंगे। पहले साल में 4821, दूसरे साल में 5106 तथा तीसरे साल में 3139 कार्यदिवस सृजित होंगे।


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