Mutual Funds News: आज से म्यूचुअल फंड में निवेश का बदला तरीका, ये पांच बड़े बदलाव लागू

नए साल में अप्रैल से म्यूचुअल फंडों को डिविडेंड (Dividend) ऑप्शंस यानी लाभांश के विकल्प का नाम बदलकर इनकम डिस्ट्रीब्यूशन कम कैपिटल विद्ड्रॉल (income distribution cum capital withdrawal) करना होगा. सेबी ने सभी म्यूचुअल फंड कंपनियों को डिविडेंड ऑप्शंस का नाम बदलने का निर्देश दिया है.

NAV कैलकुलेशन के नियम बदले
Change in NAV calculation

  1. आज से निवेशकों को म्यूचुअल फंड्स की उस दिन की खरीदारी का NAV एसेट मैनेजमेंट कंपनी के पास पैसे पहुंच जाने के बाद ही मिलेगा, भले ये निवेश कितना भी बड़ा या छोटा क्यों न हो.
  2. सेबी ने यह तय किया है कि लिक्विड और ओवरनाइट म्यूचुअल फंड योजनाओं को छोड़कर सभी म्यूचुअल फंड्स योजनाओं में दिन का क्लोजिंग NAV यूटिलाइजेशन के लिए उपलब्ध फंड्स के आधार पर तय होगा.
  3. अभी मौजूदा नियमों के अनुसार, 2 लाख रुपये से कम की खरीदारी में उस दिन का NAV लागू होता है और ऑर्डर प्लेस हो जाता है, चाहे पैसे AMC के पास पहुंचा हो या नहीं.

इंटर स्कीम ट्रांसफर के बदले नियम
Inter-scheme transfers of securities
क्लोज इंडेड फंड्स के डेट पेपर्स का इंटर स्कीम ट्रांसफर निवेशकों को स्कीम की यूनिट अलॉट होने के तीन कारोबारी दिनों के अंदर करना होगा. ये नियम भी आज से ही लागू है. 3 दिन के बाद इंटर-स्कीम ट्रांसफर नहीं किए जा सकेंगे. इंटर-स्कीम ट्रांसफर में डेट पेपर्स को एक म्यूचुअल फंड स्कीम से दूसरी स्कीम में शिफ्ट किया जा सकेगा. सेबी के नियमों के मुताबिक, इंटर स्कीम ट्रांसफर मार्केट प्राइस पर होगा.

नया Riskometer टूल
new Riskometer tool

  1. मार्केट रेगुलेटर सेबी ने अपने रिस्कोमीटर टूल पर ‘very high’ नाम से एक नई कैटेगरी जोड़ी है. जिससे निवेशक म्यूचुअल फंड के रिस्क को लेकर सचेत रहें और बेहतर फैसला ले सकें.
  2. आज से पुराना सिस्टम खत्म हो जाएगा जिसमें सिर्फ कैटेगरी लेवल रिस्क का जिक्र होता था. डेट और इक्विटी कैटेगरी के प्रोडक्ट्स के लिए रिस्क सिर्फ उनकी कैटेगरी के हिसाब से बताई जाती थी जिसमें वो आते थे.
  3. हालांकि किसी एक कैटेगरी की अकेली स्कीम के लिए रिस्क अलग होता है, जो कि पहले के तरीके से सही परिभाशषित नहीं होती थी.
  4. लेकिन सेबी के नए नियमों के बाद फंड हाउसेज को सभी स्कीम का रिस्क अलग से बताना होगा. यानी आज 1 जनवरी, 2021 से सभी स्कीम्स की लेबलिंग अलग से करनी होगी, साथ ही फंड हाउसेज को निवेशकों को इन बदलावों की जानकारी भी देनी होगी.
  5. Risk-o-meter का आंकलन मासिक आधार पर होगा. सभी असेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMCs) पोर्टफोलियो डिस्क्लोजर में Risk-o-meter के बारे में अपनी वेबसाइट और AMFI की वेबसाइट पर हर महीने के अंत के 10 दिन पहले बताना चाहिए.

पोर्टफोलियो आवंटन के नियम बदले
Portfolio allocation rules

  1. सितंबर में Sebi ने मल्टीकैप इक्विटी म्यूचुअल फंड स्कीम के लिए पोर्टफोलियो एलोकेशन के नियमों को लेकर कुछ बदलाव किए थे. नए नियमों के मुताबिक मल्टीकैप म्यूचुअल फंड्स स्कीम का 75 परसेंट हिस्सा इक्विटी में निवेश करना होगा, जो कि अबतक 65 परसेंट था. इसके अलावा इन स्कीम्स को 25-25 परसेंट हिस्सा लार्जकैप, मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में करना होगा.
  2. अभी तक मल्टीकैप फंड कैटेगरी में ऐसी कोई शर्त नहीं थी. फंड हाउसेज को इसको पूरी तरह से लागू करने के लिए 31 जनवरी, 2021 तक का समय दिया गया.
  3. मजे की बात ये है कि म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री की चिंताओं को देखते हुए मार्केट रेगुलेटर सेबी ने एक नई म्यूचुअल फंड कैटेगरी की शुरुआत की है, जिसका नाम है ‘Flexi cap fund’. इन फंड्स को कम से कम 65 परसेंट हिस्सा इक्विटी में निवेश करना होगा और किसी तरह की कोई शर्त नहीं होगी.
  4. कुछ असेट मैनेजमेंट कंपनियों ने अपने इक्विटी मल्टीकैप स्कीमों को पहले ही ‘Flexi cap fund’ में बदल दिया, ताकि उन्हें पोर्टफोलियो में किसी तरह का बदलाव न करना पड़े.

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