S-400 डील: US राजदूत Kenneth Juster ने कहा, ‘हम दोस्तों पर कार्रवाई नहीं करते, लेकिन भारत को लेने होंगे कठोर निर्णय’

नई दिल्ली: अमेरिकी कांग्रेस की रिपोर्ट के बाद भारत-रूस (India-Russia) के रक्षा संबंधों को लेकर भारत में अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर (Kenneth Juster) ने टिप्पणी की है. उन्होंने एक तरह से भारत को चेतावनी देने का प्रयास किया है कि रूस से रिश्ते अमेरिका (America) के साथ उसके संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं. हालांकि, जस्टर ने यह भी साफ किया है कि अमेरिका दोस्तों के खिलाफ प्रतिबंधों की कार्रवाई नहीं करता. इससे पहले, अमेरिकी कांग्रेस की स्वतंत्र शोध शाखा ‘कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस’ (CRS) की रिपोर्ट में कहा गया था कि रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने को लेकर US भारत पर प्रतिबंध लगा सकता है.

India को कठोर निर्णय लेने होंगे
हिंदुस्तान टाइम्स में छपी खबर के अनुसार, अमेरिकी राजदूत केनेथ जस्टर (Kenneth Juster) ने कहा कि भारत को सैन्य हार्डवेयर खरीदने को लेकर कठोर निर्णय लेने होंगे. ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित एक समारोह में जस्टर ने कहा कि हम ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवरसरीज थ्रू सैंक्संस एक्ट’ (CAATSA) के तहत दोस्तों पर कार्रवाई नहीं करते. साथ ही उन्होंने नई दिल्ली को आगाह करते हुए कहा कि उसे ‘ट्रेडऑफ’ और उच्च तकनीक वाले अमेरिकी सैन्य हार्डवेयर के बीच किसी एक को चुनना होगा.

CAATSA कुछ खास देशों के लिए
CAATSA प्रतिबंधों पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि इन्हें दोस्तों को नुकसान पहुंचाने के लिए डिजाइन नहीं किया गया है. इनका इस्तेमाल कुछ खास देशों के लिए होता है. वैसे भी मेरी नजर में इससे भी बड़े कुछ मुद्दे हैं, जो भविष्य में भारत और अमेरिका के रक्षा संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं. इसलिए भारत को कठोर निर्णय लेने होंगे. भारत-रूस संबंधों का जिक्र करते हुए अमेरिकी राजदूत ने कहा कि भारत के दृष्टिकोण की अपनी सीमाएं थीं, लेकिन अब उसे कठोर निर्णय लेने होंगे. उन्होंने एक उदाहरण देते हुए कहा कि किसी एक के करीब जाने के लिए दूसरे को नजरंदाज करने के अपने नुकसान होते हैं.

Trade-off पर फैसला भारत का

केनेथ जस्टर ने संकेत दिए कि रूस से सैन्य साजोसामान खरीदना भारत-अमेरिका के रक्षा संबंधों को प्रभावित कर सकता है. उन्होंने कहा कि भारत को यह तय करना है कि सबसे अधिक परिष्कृत प्रौद्योगिकी प्राप्त करना उसके लिए कितना मायने रखता है. ‘ट्रेड ऑफ’ पर निर्णय केवल भारत सरकार को लेना है और इसी के आधार पर भविष्य के संबंध निर्धारित होंगे. जस्टर ने आगे कहा कि अमेरिका भारत के साथ अपने रिश्तों को मजबूत करने, उसके साथ रक्षा सौदे करने का पक्षधर है, लेकिन मौजूदा स्थिति किसी खुले दरवाजे को बंद करने जैसी है.

रिपोर्ट में दी थी चेतावनी
इससे पहले, CRS रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि S-400 सौदे के कारण अमेरिका (America) ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवरसरीज थ्रू सैंक्संस एक्ट’ यानी पाबंदियों के द्वारा मुकाबला करने संबंधित कानून के तहत भारत पर प्रतिबंध लगा सकता है. वैसे सीआरएस रिपोर्ट अमेरिकी कांग्रेस की आधिकारिक रिपोर्ट नहीं होती. ये स्वतंत्र विशेषज्ञों द्वारा सांसदों के लिए तैयार की जाती है, ताकि वे सबकुछ समझने के बाद सोच-समझकर निर्णय लें. फिर भी रिपोर्ट में भारत-रूस (India-Russia) डील को लेकर दी गई चेतावनी चिंता का विषय जरूर है.

2018 में हुई थी Deal
भारत और रूस रणनीतिक साझेदार भी हैं और नई दिल्ली अपनी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए मॉस्को से डील करता आया है. अक्टूबर, 2018 में भारत ने ट्रंप प्रशासन की चेतावनी को नजरंदाज करते हुए चार S-400 डिफेंस सिस्टम खरीदने के लिए रूस के साथ पांच अरब डॉलर का सौदा किया था. इसकी पहली किश्त के रूप में भारत ने 2019 में रूस को 80 करोड़ डॉलर का भुगतान भी किया था.


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