‘लाल किला’ को ढहाने के लिए BJP ने अपनाई थी उनकी ही ट्रिक, ये थी पूरी प्लानिंग

त्रिपुरा में पहली बार ऐसा हुआ है जब बीजेपी ने सीधे मुकाबले में वामदलों को हराया है. तस्वीर साभार: IANS

नई दिल्ली: वामदलों की राजनीति को करीब से समझने वाले बताते हैं कि उनकी सबसे बड़ी ताकत कैडर है. कैडर की ताकत के दम पर ही वे पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, केरल जैसे राज्यों में लंबे समय तक राज करती रही है. त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने वापदलों की की ट्रिक अपनाकर उन्हें हराया है. संघ की मदद से बीजेपी ने पिछले तीन साल में त्रिपुरा में विशालकाय कैडर खड़ा कर लिया था. 2014 के लोकसभा चुनाव में जीत के बाद बीजेपी ने त्रिपुरा में मंडल स्तर पर मोर्चों का गठन किया था, फिर बूथ कमेटियों का गठन शुरू हुआ.

बताया जा रहा है कि बीजेपी ने उत्तर प्रदेश की तर्ज पर त्रिपुरा में 3214 बूथों पर ‘वन बूथ-टेन यूथ’ का फॉर्मूला अपनाया. यानी हर बूथ पर बीजेपी का 10 युवा कार्यकर्ता मौजूद था. साथ ही हर बूथ पर 10-10 महिलाएं, एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यक और किसानों को भी जोड़ा. 2700 बूथों पर 10-10 महिलाओं की टीम तैयार की. इसके अलावा, त्रिपुरा वोटर लिस्ट के कुल 48000 पन्नों में से 42,000 पन्नों पर कार्यकर्ता तैनात किए. यानी एक पेज के 60 वोटर पर एक भाजपा कार्यकर्ता तैनात था. जिसकी ड्यूटी एक पखवाड़े में दो बार सभी वोटर से मिलकर तीन बिंदुओं पर बात करना था. इसी तरह त्रिपुरा में भाजपा ने क्षेत्रीय दल आईपीएफटी से गठबंधन कर 20 आरक्षित आदिवासी सीटों पर कब्जा किया.


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