3 साल पहले इराक में टॉप ईरानी जनरल का कत्‍ल, अब सीरिया में मारे गए टॉप कमांडर के बीच क्‍या कॉमन है?

इजरायल ने सोमवार को ईरान को बड़ी चोट दी जब उसने सीरिया की राजधानी दमिश्क के पड़ोस में एक एयर स्ट्राइक को अंजाम दिया. ईरान के अर्द्धसैन्य बल ‘रेवोल्यूशनरी गार्ड’ के लंबे समय से सलाहकार रहे सैयद राजी मौसावी हमले में मारे गए. इस घटना की तुलना 2020 में ईरान के ताकतवर खुफिया कमांडर मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत से की जा रही है जो कि 2020 में बगदाद में अमेरिकी हमले में मारे गए थे.

यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है जब लेबनान-इजराइल सीमा पर हिजबुल्ला और इजराइल के बीच झड़पें तेज होने से इजराइल-हमास युद्ध का दायरा बढ़ने की आशंका उत्पन्न हो गई है.

आखिर मौसावी कौन थे और उनका जनरल सुलेमानी से क्या कनेक्शन था. ईरान का अर्द्धसैन्य बल ‘रेवोल्यूशनरी गार्ड’क्या है जो अमेरिका और इजरायल की आंखों में खटकता रहा है.

जनरल सुलेमानी के करीबी थी मौसवी?
जनरल मौसवी को ईरान के बेहद लोकप्रिय खुफिया कमांडर रहे मेजर जनरल कासिम सुलेमानी का करीबी सहयोगी बताया जा रहा है. बता दें सुलेमानी 2020 में बगदाद में अमेरिकी हमले में मारे गए थे.

कौन थे जनरल सुलेमानी?
जनरल सुलेमानी को ईरान में एक नेशनल हीरो का दर्जा हासिल है. उन्हें ईरानी सत्ता का एक मजबूत स्तंभ माना जाता था. कई रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया कि वह ईरान के सर्वोच्च धार्मिक नेता आयतुल्लाह अली खामेनेई के बाद देश में दूसरी सबसे बड़ी ताकत थे. ईरान के कई देशों से बेहतर संबंध बनाने और मध्य पूर्व में ईरान के असर को गहरा करने में उनकी अहम भूमिका मानी जाती है.

जनरल सुलेमानी कुद्स फ़ोर्स नाम की एक सैन्य टुकड़ी के चीफ थे. क़ुद्स फ़ोर्स अलग-अलग देशों में ईरानी हितों के हिसाब से किसी का साथ तो किसी का विरोध करती है. बताया जाता है कि क़ुद्स फ़ोर्स सीधे देश के सर्वोच्च नेता आयतोल्लाह अली ख़मेनेई को रिपोर्ट करती है. अमेरिका ने कुद्स फ़ोर्स और सुलेमानी का आतंकी घोषित किया था.

2012 में, सीरियाई गृहयुद्ध के फैलने के बाद, सुलेमानी ने सीरियाई सरकार और उसके राष्ट्रपति, एक प्रमुख ईरानी सहयोगी, बशर अल-असद को मजबूत करने में मदद की. उन्होंने सीरियाई गृहयुद्ध में ईरान के अभियान चलाए और सीरिया में रूसी सैन्य हस्तक्षेप की योजना बनाने और उसे व्यवस्थित करने में मदद की.

सुलेमानी की हत्या
3 जनवरी 2020 को सुलेमानी की कारों के काफिलों को बगदाद इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर यूएस ड्रोन्स ने निशाना बनाया हमले में सुलेमानी मारे गए. उनके साथ कताइब हिज़्बुल्लाह के नेता अबु महदी अल-मुहांदिस भी सफर कर रहे थे. उनकी मौत इस हमले में हो गई. कताइब हिज़्बुल्लाह को अमेरिका ने आतंकी संगठन घोषित किया था.

सीरिया में क्यों मौजूद है ईरानी सेना
सीरियाई गृहयुद्ध के शुरुआती दौर से ही ईरानी सेनाएं सीरिया में मौजूद हैं. सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासन के खिलाफ व्यापक विद्रोह में ईरानी सेनाओं ने राष्ट्रपति का साथ दिया है

बता दें इजरायल ने हाल के वर्षों में युद्धग्रस्त सीरिया के सरकार-नियंत्रित हिस्सों में सैकड़ों हमले किए हैं. इजरायल आमतौर पर सीरिया पर अपने हवाई हमलों को स्वीकार नहीं करता है. लेकिन जब भी करता है तो कहता है कि वह वहां ईरानी समर्थित समूहों को निशाना बना रहा है, जिन्होंने असद की सरकार का समर्थन किया है.

इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी)
आईआरजीसी ईरानी सशस्त्र बलों की शाखा है. इसे आधिकारिक तौर पर इस्लामिक क्रांति के बाद मई 1979 में रूहुल्लाह खुमैनी द्वारा एक सैन्य शाखा के रूप में स्थापित किया गया था. ईरानी सेना पारंपरिक क्षमता में देश की संप्रभुता की रक्षा करती है, आईआरजीसी की संवैधानिक जिम्मेदारी इस्लामी गणराज्य की अखंडता सुनिश्चित करना है. इसके तहत आईआरजीसी के पास ईरान में विदेशी हस्तक्षेप को रोकने, सेना द्वारा तख्तापलट को विफल करने और इस्लामी क्रांति की वैचारिक विरासत को नुकसान पहुंचाने वाले आंदोलनों को कुचलने की जिम्मेदारी है. आईआरजीसी को बहरीन, सऊदी अरब, स्वीडन और संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा एक आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया गया है.

2011 तक, आईआरजीसी में कुल कम से कम 250,000 सैनिक थे. आईआरजीसी नौसेना अब फारस की खाड़ी पर ऑपरेशनल कंट्रोल रखने वाली ईरान की प्रमुख शक्ति है. आईआरजीसी के बासिज, एक अर्धसैनिक स्वयंसेवी मिलिशिया में लगभग 90,000 सक्रिय कर्मी हैं. एक वैचारिक मिलिशिया के रूप में उभरकर, आईआरजीसी ने ईरानी राजनीति और समाज के लगभग हर पहलू में एक बड़ी भूमिका निभाई है.


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