मराठा आरक्षणः सुलग रहा महाराष्ट्र, कहीं इंटरनेट बंद तो कहीं आवाजाही ठप, सरकार का सरेंडर

Maharashtra Maratha Aarakshan: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग तेज होत देख शिंदे सरकार सरेंडर मोड में आ गई है. सर्वदलीय बैठक में सभी पार्टियों ने मराठा आरक्षण की मांग को जायज माना है. सीएम शिंदे ने कहा कि सभी दल मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए सहमत हैं. इसके साथ ही उन्होंने मनोज जरांग से अनशन खत्म करने की अपील की और कहा कि हिंसा ठीक नहीं है.

25 लोगों ने की आत्महत्या

दुखद यह है कि आरक्षण की मांग को लेकर मंगलवार को एक महिला समेत 9 और लोगों ने खुदकुशी कर ली. मराठा आरक्षण की मांग को लेकर 19 से 31 अक्टूबर के बीच 25 लोग आत्महत्या कर चुके हैं. मराठा आरक्षण की मांग को लेकर सितंबर में शुरू हुआ आंदोलन 10 जिलों में हिंसक रूप ले चुका है.

अब तक 141 मामले दर्ज

महाराष्ट्र पुलिस मराठा आरक्षण आंदोलन के दौरान हिंसा के संबंध में अब तक 141 मामले दर्ज कर चुकी है और 168 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) रजनीश सेठ ने बुधवार को यह जानकारी दी. बीड जिले में हुई हिंसा के बारे में उन्होंने बताया कि 24 से 31 अक्टूबर के बीच 20 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें से सात मामले भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत दर्ज किए गए.

रैपिड एक्शन फोर्स तैनात

सेठ ने दक्षिण मुंबई में राज्य पुलिस मुख्यालय में मीडियाकर्मियों को बताया कि किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए बीड जिले में रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की एक कंपनी तैनात की गई है और छत्रपति संभाजी नगर (ग्रामीण), जालना और बीड में इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं. डीजीपी ने कहा कि (आठ से अधिक दिन के) विरोध प्रदर्शनों के दौरान राज्य भर में उपद्रवियों ने 12 करोड़ रुपये की सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया.

146 आरोपियों को नोटिस

उन्होंने कहा, “सीआरपीसी की धारा 41 के तहत 146 आरोपी व्यक्तियों को नोटिस जारी किए गए हैं.” गौरतलब है कि पिछले दो दिन में बीड जिले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) के विधायक प्रकाश सोलंके और संदीप क्षीरसागर (शरद पवार गुट) के घरों को प्रदर्शनकारियों ने आग लगा दी थी. पुलिस ने कहा था कि छत्रपति संभाजीनगर जिले में प्रदर्शनकारियों ने सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक विधायक के कार्यालय में तोड़फोड़ की थी. बीड जिले के माजलगांव शहर में नगर परिषद भवन की पहली मंजिल में सोमवार को आंदोलनकारियों के एक समूह ने आग लगा दी और पथराव किया.

भारी पुलिसबल तैनात

सेठ ने कहा कि सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) की धारा 144 के तहत बीड जिले में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा, राज्य रिजर्व पुलिस बल (एसआरपीएफ) की 17 कंपनियों को पूरे महाराष्ट्र में संवेदनशील स्थानों पर तैनात किया गया है, साथ ही 7,000 होमगार्ड भी कानून व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस की मदद कर रहे हैं. डीजीपी ने कहा, “सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, आगजनी करने वाले उपद्रवियों और कानून तोड़ने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा. हमें सख्त कार्रवाई करने के स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं. पुलिस शांतिपूर्ण तरीके से होने वाले आंदोलन में सहयोग करेगी. विभिन्न जिलों में जहां भी आवश्यकता है, हमने अतिरिक्त पुलिसकर्मी तैनात किए हैं.”

मनोज जरांगे ने क्या कहा?

इस बीच, कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार से यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या वह पूरे मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए तैयार है या नहीं. साथ ही उन्होंने सरकार से पूछा कि उसे आरक्षण देने में और समय क्यों चाहिए. मराठा आरक्षण की मांग को लेकर दबाव बनाने के लिए जालना जिले के अपने पैतृक अंतरवाली सरती गांव में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे जरांगे ने राज्य सरकार से पूछा कि मांग पूरी करने के लिए उसे कितना समय चाहिए. उन्होंने सरकार से धरना स्थल पर आकर बातचीत करने को भी कहा.

कुनबी जाति के प्रमाण पत्र वितरित

मराठा आरक्षण की मांग को लेकर महाराष्ट्र में जारी विरोध प्रदर्शनों के बीच बुधवार को राज्य के धाराशिव जिले के अधिकारियों ने मराठा समुदाय के पात्र सदस्यों को कुनबी जाति के प्रमाण पत्र वितरित करने शुरू किए, जिसके साथ ही अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल होने का उनका मार्ग प्रशस्त हो गया. एक अधिकारी ने बताया कि इस तरह का पहला प्रमाण पत्र सबूत के आधार पर जिले के कारी गांव के सुमित माने को सौंपा गया. जिलाधिकारी सचिन ओम्बासे ने माने को कुनबी जाति प्रमाण पत्र सौंपा.

अधिकारियों को जारी हुए निर्देश

इससे एक दिन पहले राज्य सरकार ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें संबंधित अधिकारियों से मराठा समुदाय के पात्र सदस्यों को नए कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करने के लिए कहा गया है ताकि उनके लिए अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण का लाभ हासिल करने का मार्ग प्रशस्त हो सके. महाराष्ट्र कैबिनेट ने पिछले महीने फैसला किया था कि मराठवाड़ा क्षेत्र के उन मराठों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी किए जाएंगे जिनके पास निजाम युग के ऐसे राजस्व या शिक्षा दस्तावेज हैं जिनके जरिए कुनबी के तौर पर उनकी पहचान होती हो. कृषि से जुड़ा समुदाय कुनबी समुदाय महाराष्ट्र में ओबीसी श्रेणी के अंतर्गत आता है और इसे शिक्षा व सरकारी नौकरियों में आरक्षण मिला हुआ है.

सभी लाभार्थियों को मिलेगा प्रमाणपत्र

माने को कुनबी जाति प्रमाण पत्र देने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए, धाराशिव के जिलाधिकारी ओम्बासे ने कहा, “कुनबी मुद्दे पर गठित समिति ने मराठवाड़ा के हर जिले का दौरा किया और 1967 से पहले की अवधि के सबूत खोजने की कोशिश की.” उन्होंने कहा कि अकेले धाराशिव में 40 लाख अभिलेखों की जांच की गई और कुल 459 कुनबी अभिलेख मिले, जिनमें से 110 कारी गांव के हैं. ओम्बासे ने कहा, “सरकार के निर्णय के अनुसार, हमारे जिले में कुनबी प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. अभिलेखों के अनुसार, हमने आज पहला कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी किया है. हम शेष लाभार्थियों की पहचान करके उन्हें प्रमाणपत्र सौंपेगे.”

(एजेंसी इनपुट के साथ)


facebook - जनसम्पर्क
facebook - जनसम्पर्क - संयुक्त संचालक
twitter - जनसम्पर्क
twitter - जनसम्पर्क - संयुक्त संचालक
जिला प्रशासन इंदौर और शासन की दैनंदिन गतिविधियों और अपडेट के लिए फ़ॉलो करें